फतेहपुर सीकरी के हाथी पोल स्थित गजलक्ष्मी 


Sthapatyam
Vol. 5
Issue. 4
प्रो. डाॅ. आर. नाथ 


अकबर की दृष्टि सभी धर्मों के प्रति समान आदर की थी। 1582 ई. में उसने दीन ए इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसने एक उपनिषद की भी रचना करवाई जिसे अलोपनीषद कहते हैं। 1584 ई. में एक कैलेण्डर तारीखे इलाही नाम से बनवाया जो नक्षत्र विज्ञान पर आधारित था। अकबर की महानता इससे भी जाहिर होती है कि उसने हिन्दू धर्म के उत्सवों को भी अपनाया था जैसे- राखी, तिलक, झरोखा दर्शन और तुलादान इत्यादि।
अकबर की धर्म निरपेक्षता उसके सभी क्रिया कलापों में देखे जाते हैं। जैसे- भवन निर्माण, संगीत और चित्रकारी आदि। आगरा किला का हाथी पोल 1569 ई. में बनकर तैयार हुआ। दरबाजे के दोनों ओर हाथी बने हुये हैं जिससे इसे हाथी पोल भी कहा जाता है। इन हाथियों की सुँड दोनों तरफ से मिलकर आर्च (तोरन) का निर्माण कर रहे थे। 



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आगरा के हाथी पोल के समान ही फतेहपुर सीकरी का हाथी पोल 1585 ई. में बनकर तैयार हुआ। इन हाथियों के सुँड भी एक-दूसरे से मिलकर तोरन का निर्माण करते थे। हाथियों पर काले रंग का प्रयोग किया गया था। जंजीर, घंटी, हौदे और गहने सफेद, लाल और दूसरे अन्य रंग से रगें गये थे।
इन हाथियों का चित्रण अकबरनामा में किया गया है। हाथी राजसी समृद्धि के प्रतीक थे। बुद्धी, बल और आकार प्रकार में हाथी की विशालता मन मोहक है। हाथी राजा की सवारी के काम में आता था। प्राचीन समय में राजा अपने वैभव के लिये महल में हाथी की मूर्ति बनवाते और रखवाते थे। अकबर ने भी आगरा और फतेहपुर सीकरी के किले में हाथियों की मूर्तियाँ बनवायी।
भारत के सनातन धर्म परम्परा में हाथी का महत्वपूर्ण स्थान है। हाथी इन्द्रदेव की सवारी (एरावत) है। मन्दिरों के सथापत्य में गजपीठ देखा जाता है (अक्षरधाम, दिल्ली)। ऋग्वेद (2.6.26) में श्रीलक्ष्मी का हाथी राजा के द्वारा स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का वर्णन है। लक्ष्मी समृद्धि की देवी हैं। लक्ष्मी के कल्याणकारी स्वरूप के चलते, बौद्ध, जैन, वैष्णव, शैव, आदि धर्मो के स्थापत्य पर लक्ष्मी की मूर्ति देखी जा सकती है। भरहुत, साँची, बोधगया, पीतलखोरा और मथुरा के स्थापत्य पर भी गजलक्ष्मी का चित्रण देखा जा सकता है। 
अकबर हिन्दू धर्म से प्रभावित था और उसने हिन्दू धर्म के प्रतिकों को किलों के निर्माण में स्थान दिया था।


  
रेनु पाण्डेय
संपादक
स्थापत्यम्